कीन्ही दया तहं करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें।
नमो नमो जय नमो शिवाय । सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥
कहे अयोध्या आस तुम्हारी । जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
जो यह पाठ करे मन लाई । ता पार होत है शम्भु सहाई ॥
जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥
कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
अर्थ: हे गिरिजा पति हे, दीन हीन पर दया बरसाने वाले more info भगवान शिव आपकी जय हो, आप सदा संतो के प्रतिपालक रहे हैं। आपके मस्तक पर छोटा सा चंद्रमा शोभायमान है, आपने कानों में नागफनी के कुंडल डाल रखें हैं।
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥
अस्तुति चालीसा शिविही, सम्पूर्ण कीन कल्याण ॥
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव…॥
भगवान शिव की महिमा का बखान करने के लिए अनेकों अष्टकों की रचना हुई है, जिनमें शिवाष्टक, लिंगाष्टक, रूद्राष्टक, बिल्वाष्टक काफी प्रसिद्ध हैं, जिसमें शिवाष्टक का विशेष महत्व है।
अर्थ- हे भोलेनाथ आपको नमन है। जिसका ब्रह्मा आदि देवता भी भेद न जान सके, हे शिव आपकी जय हो। जो भी इस पाठ को मन लगाकर करेगा, शिव शम्भु उनकी रक्षा करेंगें, आपकी कृपा उन पर बरसेगी।